सोने की सर्वश्रेष्ठ स्थिति

स्वस्थ मानव शरीर और मस्तिष्क के लिए सही मुद्रा में सोना बहुत अर्थ रखता है, क्योंकि यह लोगों में आमतौर पर पाए जाने वाले पीठ दर्द की बीमारी को समाप्त करने में सहायता करता है। आमतौर पर ‘सोते समय पीठ के निचले हिस्से में दर्द को दूर कैसे करें?’ का उत्तर सोने की सही मुद्रा में छिपा होता है।

सोने की सबसे अच्छी स्थिति हर व्यक्ति के लिए उम्र और अन्य बाहरी कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है।

इसलिए, यह आपकी सोने की तकनीकों पर पुनर्विचार करने का सही समय हो सकता है!

सोने की स्थिति के विभिन्न प्रकार

यहां सभी के लिए सोने की सबसे खराब और सबसे अच्छी मुद्राओं की सूची दी गई है :

  • पीठ के बल

पीठ के बल सोना पीठ के दर्द को रोकने के लिए, सोने की सबसे अच्छी मुद्रा है, क्योंकि इससे सिर, गर्दन और रीढ़ को सीधा रखना और सहज मुद्रा में आराम करना संभव होता है।

यह मुद्रा न केवल पीठ दर्द से राहत देती है, बल्कि एसिड रिफ्लक्स से भी छुटकारा दिलाती है।

  • करवट के बल 

इस मुद्रा का अर्थ भ्रूण जैसी मुद्रा, यानी घुटने मोड़कर करवट के बल सोना हर्गिज न समझें। करवट के बल सोने का अर्थ है कि शरीर के एक तरफ वाले हिस्से के बल धड़ और पैरों को कुछ हद तक सीधा रखते हुए लेटना, जो एसिड रिफ्लक्स को कम करता है और रीढ़ को तानते हुए पीठ व गर्दन के दर्द को समाप्त करने में सहायता करता है। साथ ही यह मुद्रा निद्रा संबंधी विकारों का शमन करने में भी सहायता करती है।

  • भ्रूण मुद्रा में

सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और पसंदीदा सोने की तकनीकों में से एक यह भ्रूण मुद्रा गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे आदर्श है, क्योंकि यह रक्त परिसंचरण में सुधार करती है। वैसे यह पीठ और गर्दन के दर्द को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाती, क्योंकि इसमें शरीर कृमिकोश (ककून) की तरह मुड़ा-तुड़ा होता है और रीढ़ ‘U’ के आकार में मुड़ी होती है। रीढ़ पर लंबे समय तक कम दबाव सुनिश्चित करने के लिए बेहतर यह रहता है कि बीच-बीच में नींद की पहली मुद्रा में सोएं।

  • पेट के बल

यदि सोने की तकनीकों को सर्वश्रेष्ठ से सबसे खराब के क्रम में रखना हो तो पेट के बल सोने की स्थिति का क्रम सबसे अंत में यानी सबसे खराब तकनीक के तौर पर होगा। यह मांसपेशियों के साथ-साथ जोड़ों में अतिरिक्त दबाव का कारण बनती है और पीठ व गर्दन के दर्द को आमंत्रित करती है। यदि यह आपकी पसंदीदा सोने की स्थिति है, तो बेहतर यही रहेगा कि आप किसी अन्य मुद्रा में सोने की आदत डालें, जिससे शरीर की मुद्रा दोषरहित रहे और दर्द व पीड़ाएं आप पर हमला न करें।

सीख

मजेदार तथ्य

मनुष्य अपने जीवन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बिस्तर पर गुड़ीमुड़ी होकर सोने या सोने का प्रयास करने में बिताते हैं।

इसलिए नींद लेने की ऐसी मुद्रा चुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य में सुधार करे और नींद की कमी का कारण न बने।