सीढ़ियों से फिसलने पर या व्यायाम करते समय आपकी ऐड़ी में मोच आ सकती है I कारण चाहे जो भी हो दर्द तो एक समान ही होता है I यह आपकी दिनचर्या को बाधित कर सकता है I
ऐड़ी की मोच के सामान्य लक्षण हैं लालिमा, सूजन और ऐड़ी को स्पर्श करने पर गर्माहट महसूस होना I कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे दर्द (पेशीय दर्द ), अकड़न, चोट लग्न अथवा पैर पर भर डालने में असमर्थ होना I यह जानकर आश्चर्य होगा की यह सब हमारे शारीर के प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली का ही भाग है I मोच में ऐसा क्या होता है कि हमें इतना अधिक दर्द होता है I
मोच में बहुत दर्द क्यों होता है ?
जब आप ऐड़ी में मोच ( या किसी अन्य जोड़ में ) से पीड़ित होते हैं तब हमारा शरीर प्रोस्टैगलेंडइंस नामक एक रसायन उत्सर्जित करता है जिसके कारण हमें सम्बंधित अंग में जलन होती है और यह चोटिल स्थान को सुरक्षित करने में सहायता करता है I मोच में जलन होना सामान्यतः साधारण बात है I यह दर्शाता है कि हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से चोट पर प्रतिक्रिया कर रहा है I ऐड़ी में मोच आने पर कोमल तंतु क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और चारों और की नसें भी दर्द के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं I अतः यह कहा जाता है कि मोच ठीक होने तक दर्दनिवारक अवश्य लेना चाहिए I
जलन होने पर उसका प्रबंधन करना
मांसपेशियों में तनाव होने पर या ऐड़ी में हल्की सी मोच आने पर पी.आर.आई.सी.ई. विधि का प्रयोग करके दर्द को कम किया जा सकता है I
प्रारंभ के 72 घंटों में आपको निम्न बातें वर्जित हैं :
ताप : जिसमें गर्म स्नान, गर्म लेप और वाष्प स्नान सम्मिलित हैं I
मदिरा: इससे सूजन और रक्तस्त्राव होने के साथ ही दर्द ठीक होने में अधिक समय लगेगा I
दौड़ना: दौड़ने या अन्य गतिविधि से और अधिक क्षति हो सकती है I
मालिश: इससे सूजन और रक्तस्त्राव हो सकता है I
पी.आर.आई.सी.ई. विधि का प्रयोग गलत तरीके से न करें I
पी.आर.आई.सी.ई. का शाब्दिक अर्थ हैं
प्रोटेक्शन(बचाव), रेस्ट(आराम), आइस (बर्फ), कम्प्रेशन(दबाव) और ऐलिवेशन (ऊपर की ओर उठाना)
प्रोटेक्शन(बचाव)
प्रभावित क्षेत्र को सहारा देकर बचाव करें I ऐड़ी में चोट लगने पर ऐसे जूते पहने जो आपके पैर को सहारा दें जैसे बंध वाले जूते I इससे चोट की जगह को और अधिक हानि नहीं होती I
रेस्ट (आराम)
शरीर को मरम्मत के लिए समय लगता है जितना आवश्यक हो ऐड़ी पर केवल उतना ही भार दें ज्यादा भार डालने से बचें I यदि आराम नहीं करेंगे तो प्रभावित क्षेत्र पर तनाव के कारण और अधिक दर्द होगा अतः आराम अवश्य करें इससे मांसपेशियों में होने वाले दर्द से आराम मिलेगा I
आइस(बर्फ)
जलन दूर कने का एक अच्छा उपाय है बर्फ से सिकाई करना I इससे रक्त वाहिकाओं में संकुचन होता है जिससे सूजन और रक्तस्त्राव नहीं होता I त्वचा की सतह पर बर्फ प्रत्यक्ष रूप से कभी न लगायें इसे कपड़े के अन्दर रखकर लगायें या आइस पेक का उपयोग करें I हर 20 मिनिट में यदि आप आइस पेक प्रभावित अंग पर रखेंगे तो आपको जलन और दर्द से आराम मिलेगा I
कम्प्रेशन (दबाव)
चिपकी हुई पट्टी बाँधने से यह सूजन को कम रखती है और प्रभावित क्षेत्र को स्थिर रखती है ताकि चोट को और हानि न पहुंचे I
ऐलिवेशन (ऊपर की ओर उठाना)
चोट के भाग को ऊपर की ओर उठाकर रखने से सूजन कम हो जाती है I इससे अतिरिक्त रक्त और तरल चोट प्रभावित जगह से दूर हो जाते हैं I ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने प्रभावित अंग को अपने ह्रदय के स्तर से थोड़ा ऊपर उठा कर रखें I